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१९८२ में बने इस स्टेडियम का यह कीर्तिमान दूसरे स्थान पर सिडनी के १२९ और मेलबॉर्न के १२४ एक दिवसीय मैचों से आज भी बहुत आगे है। इस महाद्वीप की दो दिग्गज टीमों के बीच मैच के शानदार दिन भूलने की चीज़ नहीं जब भारत और पाकिस्तान के बराबर दर्शक स्टेडियम को अपनी उपस्थिति से गुलज़ार किए रहते थे। उस समय शहर में शायद ही लोग किसी और विषय पर बात करते हों। उन दिनों सीमित ओवरों के खेल में एक एक रन के लिए संघर्ष करते कुछ रोमांचक पल और विश्व रेकार्डों की स्थापना के स्वर्णिम अवसर भी इस स्टेडियम के इतिहास में सुरक्षित है।
अतीत में क्रिकेट की आन-बान के प्रतीक इस स्टेडियम में अब कोई अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं होते। बीसवीं शती के अंत में मैच फ़िक्सिंग के कारण बदनाम हुआ यह स्टेडियम आज अपने बुरे दिनों से गुज़र रहा है। जिस समय भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच बंद हुए उसी समय से यह स्टेडियम अपना आकर्षण खोने लगा था।
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लोकप्रियता घटी तो रखरखाव और सौंदर्य में कटौती झेलता यह स्टेडियम अपना रूप खोने लगा। जिसे भी शारजाह और क्रिकेट से प्यार है वह स्टेडियम के इस रूप को देखकर दुखी है। आज के स्थानीय समाचार पत्र में इमारात क्रिकेट बोर्ड के प्रबंधक मज़हर ख़ान का वक्तव्य छपा है। वे कहते हैं कि नई क्रिकेट शृंखला के आयोजन के लिए बातचीत जारी है। अगर सब निश्चित हो गया तो चार महीने में वे इस स्टेडियम का कायाकल्प कर देंगे। यह वक्तव्य आशा की किरन लेकर आया है। शायद बीते हुए दिन लौटने वाले हैं।