सोमवार, 23 नवंबर 2009

एक मरुस्थल यात्रा

यहाँ एक कहावत है- अगर मरुस्थल में कभी रास्ता भूल जाओ तो ऊँट के पदचिह्नों का अनुसरण करो। जो मरुस्थल को पहचानते हैं वे जानते हैं कि ऊँट रेत के टीलों को चढ़कर पार नहीं करते उनके किनारे से गुज़रते हैं और इस प्रकार गाड़ी चलाने से रेत में फँसने का खतरा कम हो जाता है।

मरुस्थल को इमारात में सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसके रखरखाव और संरक्षण पर सरकार विशेष ध्यान देती है। दुबई-अलेन हाईवे पर दुबई से ४५ मिनट आगे मरगम का संरक्षित मरुस्थल इसका जीता-जागता प्रमाण है। २२५ वर्ग किलोमीटर में फैले इस मरुस्थल का ९० किलोमीटर लंबा छोर हाईवे के साथ साथ चलता है। पर्यटकों के लिए इसमें विहार के सख्त नियम बनाए गए हैं। फ़ोर व्हील ड्राइव की गति सीमा ४० किमी प्रतिघंटा निर्धारित की गई है और हर गाड़ी में बैक ट्रैक प्रणाली का होना आवश्यक है ताकि निगरानी दस्ता हर गाड़ी की खबर रख सके। मरुस्थल में रास्ते भी निश्चित कर दिये गए हैं। इसके दो लाभ होते हैं एक तो पर्यटकों के भटकने का डर नहीं रहता दूसरे यहाँ उगने वाली वनस्पतियों और निवास करने वाले जीवों की भी सुरक्षा होती है। मरगम में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती अनेक वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण किया गया हैं, जिनमें अरबी हिरनों की दो प्रजातियाँ- पीले रंग के गज़ेले और काले धूसर ओरिक्स प्रमुख हैं। यहाँ फैला रेत का सागर लाल रंग का है, यह लाल रंग आयरन ऑक्साइड के कारण आता है।

मरुस्थल में गाड़ी चलाना, कभी दूर से किसी हिरन के दिख जाने पर कैमरे को दूरबीन की तरह इस्तेमाल करना और देर तक रेत में समाते हुए सूरज को देखना यहाँ के विशेष आकर्षण हैं। सैंड बैशिंग और सैंड स्की साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए काफ़ी रोचक सिद्ध होते हैं। जो कुछ भी न करना चाहे वह भी ऊँट की सवारी, अरबी मेंहदी, अरबी तंबू में जीवंत प्राचीन संस्कृति के दृश्यों, नृत्य-संगीत और खाने पीने का आनंद उठा सकता है। मरगम के भीतर एक बड़े रेत के टीले की तलहटी में बसा 'अल सहरा' सुस्ताने की बढ़िया जगह है। जगमगाती लालटेनों से घिरे इस टुकड़े पर चाय-कॉफी, अरबी रात्रिभोज, बिदोइन तंबू, बार और शीशे (एक तरह का हुक्का) की व्यवस्था सैर की थकान के बाद अच्छी लगती है। अरबी खाने का आरंभ फ़िलाफ़िल और शावरमा से होता है। इसके बाद शाकाहारी व मांसाहारी दोनो ही प्रकार के तले, भुने और शोरबेदार व्यंजनों के साथ अरबी रोटियाँ, सलाद, हमूस और पुलाव परोसे जाते हैं। भोजन का अंत फल, मिठाई और बकलावे (एक प्रकार की मिठाई) से होता है। रेगिस्तान की रात सितारों से जगमग होती है। इन्हें ठीक से देखने के लिए अधिकतर लालटेनें बुझा दी जाती हैं। तभी बेली नर्तकी का आगमन होता है जो अरबी संगीत, नृत्य और संस्कृति का विशेष अंग है।

इस देश में मरुस्थल से जुड़ी एक कहावत और भी है- अगर आप मरुस्थल से घर जा रहे हैं तो घर में उसकी अगवानी के लिए पहले से तैयार रहें क्यों कि आपके जूतों और जेबों में वह आपके साथ घर पहुँचता है। कुछ लोगों को इस प्रकार मरुस्थल का घर तक पीछा करना अच्छा नहीं लगता, जबकि कुछ लोग घर आई रेत को एक प्याले में इकट्ठा कर के यात्रा के स्मृतिचिह्न की तरह सहेजते हैं।

शनिवार, 21 नवंबर 2009

मुफ्त का सामान


मुफ्त का सामान मुफ़्त की मुसीबतें लेकर आता है। आप चाहें न चाहें वह आपकी ट्रॉली में रखा जाता है, डिकी में उतारा जाता है और घर में जमाया जाता है। फ्लू या सर्दी बुखार बदलते मौसम का मुफ़्त उपहार है। हम लेना नहीं चाहते लेकिन कहीं न कहीं से मिल ही जाता है। नए अध्ययनों में पता लगा है कि खरीदारी करने वाली ट्रॉलियों के हत्थे, सार्वजनिक कंप्यूटरों के की-बोर्ड और कारों के स्टीयरिंग व्हील मुफ़्त में सर्दी बुखार प्रदान करने वालों में सबसे आगे हैं। आपने इन्हें छुआ और आपकी हुई मुसीबत। लो भई, हम तो समझते थे कि सर्दी-बुखार के विषाणु हवा में होते हैं लेकिन यहाँ तो विलायती लोग छुआछूत की बात करने लगे।

लंदन में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सर्दी बुखार को अपने ऊपर लादकर कार चलाने वाले लोग सड़क पर उतने ही खतरनाक साबित होते हैं जितने दो गिलास मदिरापान किए हुए लोग। लॉयेड्स टीबीएस इंश्योरेंस कंपनी के लिए किए एक सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने पाया कि तेज़ सर्दी बुखार से ग्रस्त ड्राइवर किसी भी ख़तरे पर प्रतिक्रिया करने में ११ प्रतिशत अधिक समय लेते हैं। इसका मतलब यह कि अगर कार की गति ६० किमी प्रति घंटा है तो ब्रेक लगाने से पहले कार २ मीटर आगे निकल जाएगी। सर्वेक्षण में सहयोग करने वाले डॉ. डॉन हार्पर का कहना है कि ऐसा इसलिए भी होता है कि सर्दी बुखार की अधिकतर दवाईयों में नशीले पदार्थ या नींद की दवा मिली होती है। शोध में यह बात भी पता चली कि सर्दी बुखार से पीड़ित अधिकतर लोग सर्दी बुखार में गाड़ी चलने के इन ख़तरों को ठीक से नहीं जानते हैं। अज्ञान का पर्दा आँखों पर डाले ड्राइविंग करते रहते हैं और अपने साथ दूसरों की जान के भी दुश्मन बनने का खतरा मोल ले लेते हैं।

चलो मान लिया कि सर्वेक्षण में कही गई बातें शत प्रतिशत सही हैं लेकिन कुल मिलाकर सवाल तो यह है कि मुफ़्त के फ़्लू और सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए आप क्या करेंगे? खरीदारी बंद कर देंगे, कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं करेंगे, कार ड्राइव नहीं करेंगे या फिर सर्दी बुखार की दवाई ही नहीं खाएँगे?

मंगलवार, 10 नवंबर 2009

कचरा करे कमाल


पिछले पचीस वर्षों में संयुक्त अरब इमारात देश निर्माण के भयंकर दौर से गुजरा है। अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की इमारतों में अपना नाम शामिल करने की दौड़, व्यापार में विस्तार की महत्त्वाकांक्षा और विकास की उड़ान में सहायता देने के लिए इस देश में बसनेवाले लगभग ७० प्रतिशत लोग विदेशी हैं। इतने सारे लोगों के लिए आवासीय इमारतों का निर्माण भी युद्धस्तर पर हुआ है, बगीचे लगे हैं और रेगिस्तान को हरा भरा कर दिया गया है। आबादी भी तेजी़ से बढ़ी है और साथ ही बढ़ा है कचरा। हाल ही में प्रकाशित आँकड़ों में यह तथ्य सामने आया है कि सारे विश्व की तुलना में एक इमाराती चार गुना अधिक कचरा फेंकता है। जहाँ विकसित विश्व में प्रति व्यक्ति १.५ किलो कचरा फेंका जाता है वहीं इमारात में हर व्यक्ति प्रतिदन ४.२ किलो कचरा फेंकता है। इस कचरे का सदुपयोग अभी तक जमीन को समतल करने और गड्ढों को भरने में होता आया है। लेकिन अब सरकार को इस बढ़ते हुए कचरे से पर्यावरण के विनाश का भय सताने लगा है।

इससे निबटने के लिए अबूधाबी के वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र ने इमाराती नागरिकों के लिए पुनर्प्रयोग (रिसायकलिंग) की सरल, प्रभावी और लोकप्रिय विधियों को प्रस्तुत किया है। इसके अंतर्गत शीशा, प्लास्टिक और कागज के कचरे को इकट्ठा करने के अलग-अलग प्रकार के सुंदर डिब्बे सड़कों की शोभा बढ़ाने लगे हैं। इन्हें इस प्रकार वितरित किया गया है कि हर सड़क और हर घर तक इनकी पहुँच बनी रहे। इन डिब्बों की ऊँचाई इस प्रकार की है कि छोटे बच्चे भी सुविधा से मीठे पेय के कैन और पानी वाली प्लास्टिक की बोतलें इनमें फेंक सकते हैं। इस कूड़े को अलग अलग ट्रकों में भरकर रिसायकिल करने के लिए सही स्थान पर पहुँचाया जाएगा। वेस्ट मैनेटमेंट प्रबंधक का कहना है कि इस प्रकार कचरे को नीची जमीन भरने की बजाय अधिक महत्त्वपूर्ण कामों में लगाया जाएगा और अनुपयोगी शीशा-प्लास्टिक-कागज की रिसायकलिंग पर्यावरण को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कुल मिलाकर यह कि कचरे ने कमाल कर दिया है। इसके कारण सड़कों पर सजावट तो हुई ही है, बच्चों को सारे दिन के लिए एक नया काम मिल गया है (नए रंगीन कूड़े के डिब्बे में बोतल फेंककर आने का), साथ ही रिसायकलिंग के व्यवसाय को भी विस्तार मिल गया है।

रिसायकलिंग के लिए अखबार और गत्तों को इकट्ठा करने की योजना इमारात में पहले ही शुरू की जा चुकी है। सुपर मार्केट में प्लास्टिक के लिफ़ाफों की स्थान पर जूट से बने बार-बार प्रयोग में लाए जाने वाले थैलों का प्रयोग भी शुरू हो गया है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय दूकाने पहले ही रिसायकिल किए गए कागज से बने मोटे और मजबूत थैलों का प्रयोग कर रही हैं। इन सभी योजनाओं को सफल बनाने में समाचार पत्रों और स्वयंसेवी संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही ही। आशा है यह अभियान भी सफल होगा और अनेक विकसित देशों की तरह इमारात में भी लोग कचरा घर में ही अलग अलग कर के फेंकने के तरीके को जल्दी ही अपना लेंगे। आखिर सरकारी योजनाएँ तो तभी सफल होती हैं जब जन सामान्य उसका ठीक से पालन करते हैं।

सोमवार, 2 नवंबर 2009

गुलाबी दिवस की गुलाबी यात्रा

३० अक्तूबर का दिन विश्व में गुलाबी रिबन दिवस के रूप में जाना जाता है जब हजारों की भीड़ गुलाबी रंग से सजधज कर स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता का प्रचार करते सड़कों पर निकल आती है। तीन साल पहले एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई के इमारात में महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण स्तन कैंसर है। तब से यहाँ स्तन कैंसर के विरुद्ध ज़बरदस्त संग्राम छिड़ा हुआ है। पहले तो पूरा अक्तूबर विश्व स्तन कैंसर माह के रूप में मनाया गया। महिलाओं में जानकारी के प्रचार, उनके निरीक्षण व चिकित्सा के कार्यक्रम आयोजित किए गए और सुपर मार्केट के कैशियरों, अस्पतालों के कर्मचारियों के साथ-साथ तमाम अन्य लोग भी स्तन कैंसर के विरुद्ध गुलाबी रिबन धारण किए रहे। फिर ३० अक्तूबर की सुबह दुबई में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला जब लगभग ८००० स्त्री पुरुष और स्कूल के बच्चे एक साथ सड़क पर कैंसर के विरूद्ध आयोजित एक मार्च में साथ आ जुटे। बर्जुमान शापिंग मॉल से प्रारंभ होने वाली इस पद-यात्रा शुरू होने से पहले मॉल में गुलाबी टोपियों, मोज़ों और टी शर्ट की बिक्री की गई जिसे मॉल की जन संपर्क अधिकारी सबीना खंडवानी ने स्तन कैसर से पीड़ित ऐसी महिलाओं के लिए दान में दिया जो महँगे इलाज का बोझ नहीं उठा सकती हैं।

सुबह आठ बजे प्रारंभ होने वाली इस पद-यात्रा का उद्देश्य तो नेक था ही स्वरूप भी कम दर्शनीय नहीं था। जहाँ इतने लोग जुटें वहाँ मौज मस्ती तो होनी ही थी। जहाँ तरह तरह के ढोल और नगाड़े इस भीड़ा का हिस्सा बने वहाँ फैशन प्रेमियों ने भी इस यात्रा को रंगीन बनाने में कोई कसर नहीं रखी। दाहिनी ओर के चित्र में एक महिला का गुलाबी बालों वाला फोटो इस बात का सबूत है। अनेक लोगों को भाव विह्वल हो रोते हुए देखा गया। टी शर्ट, मोज़ों और टोपियों पर लिखे नारे आकर्षक होने के साथ-साथ संवदनाओं को भी आंदोलित करते थे। तेज़ गाड़ियों वाले पूरे मनकूल क्षेत्र को पुलिस ने आज के दिन इस गुलाबी रंग के समुद्र के लिए सुरक्षित किया हुआ था। छोटे बच्चे अपने माता पिता के कंधों पर चढ़े हुए थे और मसखरे उनका जहाँ तहाँ मनोरंजन करने में लगे थे। यात्रा का प्रारंभ दुबई शॉपिंग फेस्टिवल की चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर लैला सुहैल ने हीलियम से भरे सैकड़ों गुब्बारों को छोड़कर किया। अभिव्यक्ति के पाठकों के लिए इस आयोजन का विडियों हमें गल्फ़ न्यूज के सौजन्य से प्राप्त हुआ है। देखें और इस पद-यात्रा का आनंद लें।