शनिवार, 14 मई 2011

तरावट की तलाश


गरम देश होने के कारण इमारात के निवासियों को तरावट की तलाश सदा बनी रहती है। इसके लिए जगह जगह वाटर पार्कों और आइस रिंकों का निर्माण किया गया है लेकिन जो आनंद प्रकृति के सान्निध्य में मिलता है वह अन्यत्र कहाँ!

प्रकृति द्वारा इस देश को दिए गए बहुमूल्य उपहारों में से एक है- हत्ता के हरियाले जलकुंड। विस्तृत रेगिस्तान वाले इस देश को हवाई जहाज़ में से देखें तो भूरे मैदान के बीच शहरों के हरियाले टापू से दिखाई देते हैं।

लेकिन इतने रूखे सूखे स्थल में भी प्रकृति ने जिन स्थानों पर अपनी शीतलता छुपा के रखी हैं, हत्ता के प्राकृतिक जलकुंडों की यात्रा में उससे साक्षात्कार किया जा सकता है।

दुबई से लगभग १५० किमी की दूरी पर स्थित इमारात के सबसे रोमांचक रेत के टीलों के पार रंगीन प्रस्तर शिलाओं से उलझी उथली नदी की तलहटी में बने गहरे हरे रंग के अनेक छोटे छोटे ताल पर्यटकों की गर्म शाम को तरावट की अनुभूति में बदल देते हैं।

हत्ता की सैर अपने आप भी की जा सकती है लेकिन किसी पर्यटक यात्रा का हिस्सा बनना सुविधाजनक रहता है। अगर फोर व्हील ड्राइव हो तो नदी में गाड़ी ले जाने का अलग आनंद है लेकिन सामान्य कार से भी यहाँ की यात्रा की जा सकती है। हत्ता तक पहुँचने के सुंदर रास्ते में तेज़ हवा चलती रहती है। आम तौर पर यह सुखद लगती है

हत्ता में एक सर्वसुविधा संपन्न होटल भी है जो सैलानियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। हजर पर्वत से घिरे इस होटल के अस्सी एकड़ भूमि में फैले अंतहीन हरियाले लॉन आँखों में प्रकृति की तरावट घोलने का अद्भुत असर रखते हैं।

सांस्कृतिक रुचि के लोगों के लिए हत्ता में एक पारंपरिक गाँव है जिसमें कच्ची सड़कों पर घूमते ऊँट, पुराने स्थापत्य के छोटे मकान, किले, पारंपरिक छोटी छोटी दूकानों और खजूर से लदे पेड़ों को देखते हुए हम सौ साल पीछे पहुँच जाते हैं।

बिजली के बल्बों की आधुनिक जगमगाहट वाला यह गाँव नावों और हस्तशिल्प के सुंदर नमूनों से भरपूर है। बहुत से लोग इन्हें खरीदने में रुचि रखते हैं लेकिन जो खरीदने में रुचि नहीं रखते वे भी इन्हें देखने का आनंद उठाने से स्वयं को नहीं रोक पाते।

 

मंगलवार, 3 मई 2011

जाना कहाँ रे...

तेज़ कार चलाने का शौक कोई नया नहीं। यों तो इस शौक वाले कई प्रतियोगिताएँ और खेल आयोजित करते हैं पर सड़कों पर अपना करतब दिखाने वालों की भी कमी नहीं। जब भी हम ड्राइव करते हैं सड़कों पर ऐसे शौकीनों में से एक न एक हमें चकमा देता हुआ कलाबाज़ियाँ दिखाता साफ़ निकल जाता है। बल्कि कभी निकल जाता है और कभी दो चार को साथ लेकर सीधे परमात्मा की दुनिया में पहुँच जाता है। ऐसी घटनाएँ अक्सर देखने में आती हैं।


सभी देश और सरकारें इस तरह के लोगों पर रोक लगाने में लगे हैं। लेकिन न हादसे रुकते हैं न कलाबाज़ियों के शौकीन दम लेते हैं। एक ओर सख़्त से सख़्त कानून बनते हैं और दंड की धनराशि ज्यादा से ज्यादा बढ़ती जाती है, दूसरी ओर ' धीरे चलें आपका परिवार प्रतीक्षा में है' या 'दुर्घटना से देर भली' जैसे संवेदनात्मक वाक्यों को लिखकर कार चलानेवालों को नियम पालन की शिक्षा दी जाती है। कुछ देशों में, जिसमें इमारात भी शामिल है, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया इतनी मुश्किल, व्यवस्थित और खर्चीली है कि बिना नियमों का ठीक से ध्यान रखे ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना असंभव है। पर लगता है, ड्राइविंग की शैली इस पर निर्भर नही करती है कि ड्राइवर ने स्कूल में क्या सीखा है बल्कि इस बात पर कि ड्राइवर का स्वभाव कैसा है।

शायद हर अपराध की तरह ड्राइविंग पर भी ठीक से नियंत्रण रखना इतना आसान नहीं पर जगह जगह कैमरे और सेंसर लगाकर इसको अधिक से अधिक नियंत्रण करने की कोशिश अधिकतर देशों में की गई है। जब इतनी सख़्ती हो तो जाने अनजाने हम कहीं न कहीं कोई न कोई गलती करते हैं और कैमरे की नज़र में फंसकर फ़ाइन भी भरते हैं। हम कितनी गलतियाँ करने से बचते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि ड्राइविंग के समय हम कितने सचेत रह पाते हैं। इस सचेतना की मिसाल कायम की है इमारात के अलैन शहर में रहने वाले एक नागरिक ने, जिन्होंने अपने पिछले ४२ साल के ड्राइविंग समय में किसी कैमरे और किसी सेंसर को हाथ लगाने का मौका नही दिया। दो साल पहले सड़क यातायात दिवस के अवसर पर इमारात की यातायात पुलिस ने उन्हें सम्मानित किया और अखबार सहित मीडिया में उनकी तस्वीरें हर जगह छाई रहीं। आज दो साल बाद भी कुछ लोगों को उनका नाम याद है लेकिन अधितकर लोग भूल गए होंगे। नाम याद रखना जरूरी नहीं है पर यह कोशिश जरूरी है कि हम सब सजगता से कार चलाएँ और सड़क को सर्कस न बनाएँ।