दुनिया में नाक ऊँची रखना सबसे मुश्किल काम है। ठीक नाक के सामने, अपनी ही नाक कब कट जाए समझ पाना आसान नहीं। खुद को कुछ पता नहीं चलता, दूसरे कहते हैं तो विश्वास नहीं होता, अहसास तो तब जाकर होता है जब ज़माना कटी नाक को देख नाक-भौं सिकोड़ने लगता है।
किया भी क्या जाए, किसी की नाक में नकेल तो डाली नहीं जा सकती। समय स्वतंत्रता का है हर किसी को, हर किसी काम में अपनी नाक घुसेड़ने की पूरी आज़ादी है। आप चाहें उनकी नाक में दम कर दें, वे सुधरने वाले नहीं, नाक नीची किए चुपचाप बैठे रहेंगे और मौका पड़ते ही आपकी नाक ले उड़ेंगे। फिर अपनी नाक बचाने के लिए आप उनको नाकों चने चबवा पाते हैं, या खुद अपनी नाक रगड़ते हैं ये सब कूटनीति की बातें है, जिसका हिसाब कोई मामूली व्यक्ति नहीं दे सकता। इसके लिए तो कोई नाक वाला चाहिए और नाक वाला भी ऐसा जो नाक पर मक्खी न बैठने दे, वर्ना लोग कहने लगेंगे कि नाक कटी पर हठ न हटी।
सो दुआ यही है कि नाक रह जाए, बात रह जाए। सबकी बुरी हठ हटे पर किसी की नाक न कटे।
8 टिप्पणियां:
किया भी क्या जाए, किसी की नाक में नकेल तो डाली नहीं जा सकती। समय स्वतंत्रता का है हर किसी को, हर किसी काम में अपनी नाक घुसेड़ने की पूरी आज़ादी है। sach aur bilkul sach...aamin
कुछ नक चड़े लोग ही दूसरों की नाक के पीछे पड़े रहते हैं।हम तो कहते है कि सभी को अपनी अपनी नाक सम्भाल कर रखनी चाहिए।ऐसा मौका ही ना दे कि कोई आपकी नाक काट सके।;)
एक नाकं -सौ बीमार ....क्या किया जा सकता है ...वैसे सच है अच्छा लेख
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत अच्छा लेख लिखा नाक पर...महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..
बहुत खूब ........पूर्णिमा जी ,
आपने तो नाक को लेकर बहुत अच्छा शब्द चित्र बना दिया . गुजारिश यही की मेरी टिप्पणी पढ़ कर नाक भौं मत sikodiyega.
हेमंत कुमार
क्या बात की आपने और तसवीर की नाक बी काफी तीखी है । कुछ लोग होते हैं जो कट जाने पर भी टूटा टुकडा ऊँचा करके मेरी ही ऊँची कहने से नही चूकते ।
Respected Poornima ji,
Apke blog par pahlee bar ayee hoon.chapatee,aur naak vala lekh padha.bahut manoranjak dhang se apne lekh likhe hain.badhai.kabhee mere blog par bhee ayen.apka svagat hai.
Poonam
नाक से जुड़े सभी मुहावरों भरा आपका यह छोटा-सा 'नाक-पुराण' बेहद दिलचस्प और रोचक लगा।
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