एक पाखी
चोंच में आकाश लेकर
उड़ रहा है
एक राजा प्रेम का
इक रूपरानी
झूलती सावन की
पेंगों-सी कहानी
और रिमझिम
खोल सिमसिम
मन कहीं सपनों सरीखा
जुड़ रहा है
एक पाखी
पंख में उल्लास लेकर
उड़ रहा है
जो व्यथा को
पार कर पाया नहीं
वह कथा में
सार भर पाया नहीं
छोड़ हलचल
बस उड़ा चल
क्यों उदासी की
डगर में मुड़ रहा है
एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा है
5 टिप्पणियां:
जो व्यथा को
पार कर पाया नहीं
वह कथा में
सार भर पाया नहीं
छोड़ हलचल
बस उड़ा चल
क्यों उदासी की
डगर में मुड़ रहा है
एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा हैbahut hi gaharai liye hue saarthak rachanaa.badhaai.
please visit my blog thanks.
एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा है
बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह कविता.
आपकी यह पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर आज लिंक की गयी है.
आपके सुझावों का स्वागत है.
धन्यवाद.
एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा है
बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह कविता.
आपकी यह पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर आज लिंक की गयी है.
आपके सुझावों का स्वागत है.
धन्यवाद.
ati sunder ...
shabd kam hain taareef ke liye....!!
जो व्यथा को
पार कर पाया नहीं
वह कथा में
सार भर पाया नहीं
छोड़ हलचल
बस उड़ा चल
क्यों उदासी की
डगर में मुड़ रहा है
सुंदर भाव....
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