गरम देश होने के कारण इमारात के निवासियों को तरावट की तलाश सदा बनी रहती है। इसके लिए जगह जगह वाटर पार्कों और आइस रिंकों का निर्माण किया गया है लेकिन जो आनंद प्रकृति के सान्निध्य में मिलता है वह अन्यत्र कहाँ!
प्रकृति द्वारा इस देश को दिए गए बहुमूल्य उपहारों में से एक है- हत्ता के हरियाले जलकुंड। विस्तृत रेगिस्तान वाले इस देश को हवाई जहाज़ में से देखें तो भूरे मैदान के बीच शहरों के हरियाले टापू से दिखाई देते हैं।
लेकिन इतने रूखे सूखे स्थल में भी प्रकृति ने जिन स्थानों पर अपनी शीतलता छुपा के रखी हैं, हत्ता के प्राकृतिक जलकुंडों की यात्रा में उससे साक्षात्कार किया जा सकता है।
दुबई से लगभग १५० किमी की दूरी पर स्थित इमारात के सबसे रोमांचक रेत के टीलों के पार रंगीन प्रस्तर शिलाओं से उलझी उथली नदी की तलहटी में बने गहरे हरे रंग के अनेक छोटे छोटे ताल पर्यटकों की गर्म शाम को तरावट की अनुभूति में बदल देते हैं।
हत्ता की सैर अपने आप भी की जा सकती है लेकिन किसी पर्यटक यात्रा का हिस्सा बनना सुविधाजनक रहता है। अगर फोर व्हील ड्राइव हो तो नदी में गाड़ी ले जाने का अलग आनंद है लेकिन सामान्य कार से भी यहाँ की यात्रा की जा सकती है। हत्ता तक पहुँचने के सुंदर रास्ते में तेज़ हवा चलती रहती है। आम तौर पर यह सुखद लगती है
हत्ता में एक सर्वसुविधा संपन्न होटल भी है जो सैलानियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। हजर पर्वत से घिरे इस होटल के अस्सी एकड़ भूमि में फैले अंतहीन हरियाले लॉन आँखों में प्रकृति की तरावट घोलने का अद्भुत असर रखते हैं।
सांस्कृतिक रुचि के लोगों के लिए हत्ता में एक पारंपरिक गाँव है जिसमें कच्ची सड़कों पर घूमते ऊँट, पुराने स्थापत्य के छोटे मकान, किले, पारंपरिक छोटी छोटी दूकानों और खजूर से लदे पेड़ों को देखते हुए हम सौ साल पीछे पहुँच जाते हैं।
बिजली के बल्बों की आधुनिक जगमगाहट वाला यह गाँव नावों और हस्तशिल्प के सुंदर नमूनों से भरपूर है। बहुत से लोग इन्हें खरीदने में रुचि रखते हैं लेकिन जो खरीदने में रुचि नहीं रखते वे भी इन्हें देखने का आनंद उठाने से स्वयं को नहीं रोक पाते। |
6 टिप्पणियां:
प्रकृति की गोद का नायाब तोहफा का हत्ता का भ्रमण कराने के लिए आभार। मौलिक सूझबूझ है इन चित्रों में |
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प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा॥
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व्यंग्य उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।
http://dandalakhnavi.blogspot.com/2011/05/blog-post.html
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
सुंदर चित्र। प्रकृति जो भी नज़ारे दिखाए वो कम है। रेगिस्तान में हरियाली और पानी का मिलना खुद एक प्राकृतिक अचम्भा ही कहा जाएगा। सुंदर चित्र और सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई डॉ. पूर्णिमा जी।
प्रकृति के इन अंगों को सहेज कर रखना होगा। सौन्दर्य के अतिरिक्त ये आवश्कतायें भी हैं।
रेगिस्तान के पहाड़ों में ये जगह HATTA अपना विशेष महत्व रखती है ....
मौसम के अनुरूप आपका यह आलेख रोचक तो है ही, नयी बातें भी पता चलीं. आपको बहुत-बहुत बधाई .
भीषण गर्मी के इस दौर में यह लेख पढ़ कर सचमुच बहुत सुकून मिला। शुक्रिया पूर्णिमा जी।
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