बुधवार, 28 जनवरी 2009
लखटकिया राजा और नैनोरानी
एक था लखटकिया राजा। लखटकिया यानी जिसके पास एक लाख रुपये हों। बड़े राजों महाराजों के ख़ज़ानों में तो सैकड़ों नौलखे हार होते थे। नौलखे यानी नौ लाख रुपयों के। पर लखटकिया राजा की शान में इससे कोई कमी नहीं होती थी। लखटकिया हुआ तो क्या, था तो वह राजा ही। इतिहास ने करवट ली। हारों का समय गया और कारों का समय आया। नौ लाख वाली कारों के मालिक भी कम नहीं होंगे भारत में, पर लखटकिया राजा की लाज रखी रतन टाटा ने। बने रहें लखटकिया राजा बनी रहे लखटकिया कार!
हार, कार और बदलता संसार एक तरफ़, हम ठहरे शब्दों के सिपाही सो, सलाम उस पत्रकार को जिसने लखटकिया जैसे प्यारे और पुराने शब्द में फिर से जान फूँकी, नैनो-रानी के बहाने। हिंदुस्तानी चैनलों का इस नन्हीं सी जान पर फ़िदा हो जाना तो स्वाभाविक है लेकिन मध्यपूर्व के अखबार भी रंगे पड़े थे ढाई हज़ार डॉलर में मिलने वाली दुनिया की सबसे सस्ती कार के किस्सों से। किस्सा तो नैनो के नाम का भी है पर वह फिर कभी।
सुना है नैनोरानी लखटकिया राजाओं की सेवा में आने से पहले ही मुसीबतों से घिर गयीं। महल उठाकर भागना पड़ा। बहुत दिनों से कोई खबर नहीं क्या किसी को मालूम है कि नैनोरानी कब आ रही हैं?
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11 टिप्पणियां:
ख़बर है मार्च - अप्रैल से लाइन लगेगी नैनो रानी के दर्शन की।
देखिये कब पूरे होते हॆ लखटकिया लोगो के सपने
kya baat hai, achcha laga
लेख पढ़ते हुए पूरे समय होठों पर एक मुस्कराहट बिखरी रही .
बहुत मनोरंजक लगा.
बस, गुजराती सीख रही हैं. बंगला एक्सेन्ट जैसे ही छूटा-आई ही समझिये गरबा करती हुई. :)
इंतजार करे.....अब आ ही जाएगी ।
चाहे दो-टकिया हो चाहे लखटकिया,
हमें तो देखना है लगाके टकटकिया...
नैनो रानी का इंतजार हमें भी है।
लखटकिया जैसे प्यारे और पुराने शब्द में फिर से जान फूँकी,
सही कहा आपने..
naino rani to nain matka kar jane kahan gum ho gai. hamen bhi intjaar hai.
jane kahan gum ho gai hai naino rani.
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