मंगलवार, 10 नवंबर 2009

कचरा करे कमाल


पिछले पचीस वर्षों में संयुक्त अरब इमारात देश निर्माण के भयंकर दौर से गुजरा है। अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की इमारतों में अपना नाम शामिल करने की दौड़, व्यापार में विस्तार की महत्त्वाकांक्षा और विकास की उड़ान में सहायता देने के लिए इस देश में बसनेवाले लगभग ७० प्रतिशत लोग विदेशी हैं। इतने सारे लोगों के लिए आवासीय इमारतों का निर्माण भी युद्धस्तर पर हुआ है, बगीचे लगे हैं और रेगिस्तान को हरा भरा कर दिया गया है। आबादी भी तेजी़ से बढ़ी है और साथ ही बढ़ा है कचरा। हाल ही में प्रकाशित आँकड़ों में यह तथ्य सामने आया है कि सारे विश्व की तुलना में एक इमाराती चार गुना अधिक कचरा फेंकता है। जहाँ विकसित विश्व में प्रति व्यक्ति १.५ किलो कचरा फेंका जाता है वहीं इमारात में हर व्यक्ति प्रतिदन ४.२ किलो कचरा फेंकता है। इस कचरे का सदुपयोग अभी तक जमीन को समतल करने और गड्ढों को भरने में होता आया है। लेकिन अब सरकार को इस बढ़ते हुए कचरे से पर्यावरण के विनाश का भय सताने लगा है।

इससे निबटने के लिए अबूधाबी के वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र ने इमाराती नागरिकों के लिए पुनर्प्रयोग (रिसायकलिंग) की सरल, प्रभावी और लोकप्रिय विधियों को प्रस्तुत किया है। इसके अंतर्गत शीशा, प्लास्टिक और कागज के कचरे को इकट्ठा करने के अलग-अलग प्रकार के सुंदर डिब्बे सड़कों की शोभा बढ़ाने लगे हैं। इन्हें इस प्रकार वितरित किया गया है कि हर सड़क और हर घर तक इनकी पहुँच बनी रहे। इन डिब्बों की ऊँचाई इस प्रकार की है कि छोटे बच्चे भी सुविधा से मीठे पेय के कैन और पानी वाली प्लास्टिक की बोतलें इनमें फेंक सकते हैं। इस कूड़े को अलग अलग ट्रकों में भरकर रिसायकिल करने के लिए सही स्थान पर पहुँचाया जाएगा। वेस्ट मैनेटमेंट प्रबंधक का कहना है कि इस प्रकार कचरे को नीची जमीन भरने की बजाय अधिक महत्त्वपूर्ण कामों में लगाया जाएगा और अनुपयोगी शीशा-प्लास्टिक-कागज की रिसायकलिंग पर्यावरण को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कुल मिलाकर यह कि कचरे ने कमाल कर दिया है। इसके कारण सड़कों पर सजावट तो हुई ही है, बच्चों को सारे दिन के लिए एक नया काम मिल गया है (नए रंगीन कूड़े के डिब्बे में बोतल फेंककर आने का), साथ ही रिसायकलिंग के व्यवसाय को भी विस्तार मिल गया है।

रिसायकलिंग के लिए अखबार और गत्तों को इकट्ठा करने की योजना इमारात में पहले ही शुरू की जा चुकी है। सुपर मार्केट में प्लास्टिक के लिफ़ाफों की स्थान पर जूट से बने बार-बार प्रयोग में लाए जाने वाले थैलों का प्रयोग भी शुरू हो गया है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय दूकाने पहले ही रिसायकिल किए गए कागज से बने मोटे और मजबूत थैलों का प्रयोग कर रही हैं। इन सभी योजनाओं को सफल बनाने में समाचार पत्रों और स्वयंसेवी संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही ही। आशा है यह अभियान भी सफल होगा और अनेक विकसित देशों की तरह इमारात में भी लोग कचरा घर में ही अलग अलग कर के फेंकने के तरीके को जल्दी ही अपना लेंगे। आखिर सरकारी योजनाएँ तो तभी सफल होती हैं जब जन सामान्य उसका ठीक से पालन करते हैं।

10 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

अच्छी जानकारीं प्रदान की आपने। आभार

ePandit ने कहा…

पूर्णिमा जी आप का चिट्ठा पहली बार देखा, खुशी हुई कि आप भी ब्लॉग लिख रही हैं।

अमीरात जैसे देश कचरा प्रबंधन के प्रति सजग तो हैं लेकिन भारत ने तो इस समस्या के प्रति आँखें मूँदी हुई हैं। लोगों में तो जागरूकता का अभाव है ही सरकार भी इस दिशा में कुछ नहीं कर रही।

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

पूर्णिमा जी कचरा करे कमाल लेख पढ़ कर अच्छा लगा .. वहां कि सरकार इतनी जागरुक तो है हमारे यहाँ तो यह सब जाने कब होगा .अमीरात जैसे देश कचरा प्रबंधन के प्रति सजग तो हैं. मेरी जाननेवाली प्रभाजी ने अकेले ही जीरो गार्बेज कि मुहीम चलाई है लेकिन एक अकेला क्या करेगा जब तक कि सरकार और शासन भी उसी मुस्तैदी न जुटे

Asha Joglekar ने कहा…

अरब देश और और भी विकसित देश ये मुहीम चला रहे हैं भारत में भी कुछ लोग तो प्रयास रत हैं हीं ।
माहितीपूर्ण आलेख ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

पहले बर्तन का सेट बरसोंबरस चलता था, एक झोला कई दिनों तक बोझ ढोता था और अब यह संस्कृति आ गई - use and throw की कि हर रोज़ पोलेथीन बैग की संख्या बढ रही है, प्लास्टिक पेपर की संख्या बढ रही है!!! तो कचरे की समस्या भी बढेगी ही :)

पूर्णिमा वर्मन ने कहा…

प्रभाजी ने अकेले ही जीरो गार्बेज कि मुहीम चलाई है। यह जानकर खुशी हुई। हर काम शुरू तो अकेले ही होता है। लेकिन हम सब का उत्तरदायित्व है कि हम उनके साथ जुड़ें ताकि एक दिन वे भी कह सकें- हम अकेले ही चले ते जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

k.r. billore ने कहा…

purnimaji,..kchra kre kamal pdhakar laga india me in sab ke liye hame kitne janam lene honge .aapki lekhni bahut hi prabhavit kari hai dubai me aakr bhi aapse na milne ki tis hamesha rahegi ,,,,,kamna billore

k.r. billore ने कहा…

aapki jankari bahut achi lagi .hamesha aapki lekhni ko padha saraha .dubai me aakr aapse na milne ki tis hamesha rahegi......kamna billore

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Poornima ji,
ap ke blog par bahut dinon bad aai hoon.kafee naye lekh padhane ko mile.
aur kachare ko nipatane ka bhee itana behatar intajam padhkar ashcharya huaa.yahan ka to bura hal hai...par apka lekh bahut achchhaa laga.shubhakamnayen
Poonam

sharda monga (aroma) ने कहा…

पूर्णिमा जी,

आप की मैं बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ.
'चोंच में आकाश' को मैंने पढ़ा. बहुत बढ़िया लिखतीं हैं. आप की दृष्टि सब जगह पहुंची है जो बहुत उपयोगी है.

आप को बधाई.

शारदा मोंगा.