रविवार, 28 अक्तूबर 2007

चोंच में आकाश

एक पाखी
चोंच में आकाश लेकर
उड़ रहा है

एक राजा प्रेम का
इक रूपरानी
झूलती सावन की
पेंगों-सी कहानी
और रिमझिम
खोल सिमसिम
मन कहीं सपनों सरीखा
जुड़ रहा है

एक पाखी
पंख में उल्लास लेकर
उड़ रहा है

जो व्यथा को
पार कर पाया नहीं
वह कथा में
सार भर पाया नहीं
छोड़ हलचल
बस उड़ा चल
क्यों उदासी की
डगर में मुड़ रहा है

एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा है