मंगलवार, 14 जुलाई 2009
मौसम तरह तरह के
कुछ लोगों को यह सुन कर आश्चर्य होगा कि इस दुनिया में ऐसे देश भी हैं जहाँ वर्षा ऋतु नाम का कोई मौसम नहीं होता, न सावन का महीना न कल कल बहती नदियाँ और न हौले हौले चलती रेलगाड़ियाँ। अब बताइए इस देश की नायिका सावन के महीने में रेलगाड़ी से नदी पार कर आने वाले रिमझिम में भीगते नायक की प्रतीक्षा कैसे करेगी? जी हाँ मैं इमारात की बात कर रही हूँ। यह देश वर्षा ऋतु से बिलकुल अछूता है।
इसके विपरीत मध्य या पश्चिम यूरोप में रहने वालों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि भारत के लोग बारिश होने पर इतना खुश क्यों होते है, या बारिश का एक अलग मौसम कैसे हो सकता है? या फिर क्या साल के बाकी दिनों बारिश ही नहीं होती? उन लोगों को समझाना मुश्किल है कि गर्मी या सर्दी के मौसम में भारत में बारिश नहीं होती है। वर्षा का मौसम होता है और उसी में बारिश होती है यह अलग बात कि गलती से कभी सर्दी या गर्मी में बारिश हो जाय।
अलग अलग देशों के निवासियों के अलग अलग सवाल और सबको सब कुछ समझा पाना आसान भी नहीं। क्या आप विश्वास करेंगे कि गर्मियों की रातों को इमारात में इतनी ओस गिरती है कि सुबह उठने पर आँगन या लॉन पूरी तरह भीगे हुए मिलते हैं? लंबी लंबी उँगलियों वाली ताड़ की हथेलियाँ खूब सारी ओस समेट कर अपने जटा-जूट से लपेटे गए तने को तर कर लेती हैं और इस तरावट में सारी दोपहर हरी भरी और तरोताज़ा बनी रहती हैं।
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12 टिप्पणियां:
प्रकृति के खेल निराले!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने। भावपूर्ण विचारों की कलात्मक अभिव्यक्ति सहज ही प्रभावित करती है । भाषा की सहजता और तथ्यों की प्रबलता से आपका शब्द संसार वैचारिक मंथन केलिए भी प्रेरित करता है।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-शिवभक्ति और आस्था का प्रवाह है कांवड़ यात्रा-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
पूर्णिमा जी ,
यहाँ तो हम इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते की बारिश न हो .जरा सोचिये अगर ऐसा हो जाय तो un कवियों,लेखकों का क्या होगा जो सिर्फ बादल ,बारिश ,सावन,भादों ,आषाढ़ को लेकर रचनाएँ करते हैं..........फिर भी सोच कर अजीब सा लग रहा है की बरसात का मौसम ही नहीं hota......आपका लेख अच्छा लगा .
हेमंत कुमार
jab yah comment likh rahaa hoon to baarish se nam hawaa kaa aanand le rahaa hoon...
भावपूर्ण चित्रण किया आपने एक अन्यथा,भौगोलिक सूचना का.एक रचनाकार का मन ही सौन्दर्य और सत्य के बीच सामन्जस्य कर पाता है.धन्यवाद.
ishwar ki duniya hai jahan jisa jitana jaroori hai vah to rahta hi hai :)
चांद और बदली में हो गयी खटपट
रूठी हुई बदरिया सूरज से करके घूंघट
सिसकियां.........
भर-भर के रो रही है
लोग कहते हैं
बारिश हो रही है।
पूिर्णमा जी,
भैया अजब गलब है यह प्रकृति । लेख अच्छा जानकारी उपलब्ध कराने के लिए धन्यबाद !
पढ़कर जाना कि अरे, प्राकृतिक तौर पर दुनिया में कितनी विविधता है. अच्छी पोस्ट के लिए साधुवाद.
अच्छी पोस्ट के लिए साधुवाद.
अफ़्रीका के जलवायु के ऊपर कार्य करने के दौरान ही आपका लेख पढ़कर आश्चर्य तो हुआ ही साथ ही साथ ऐसा भी लगा जैसे टेलिपैथी जैसी कोई चीज शायद जरूर होती होगी। लेख का विषय हैरान करने वाला मेरे लिए तो नहीं है पर समय हैरान करने वाला है।
ये तो वाकई में अद्भुत जानकारी है...
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