शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009
दौड़ ऊँटों की
अरबी घोड़ों का बड़ा नाम और बड़ी शान है पर अरबी ऊँटों की शान से उनका कोई मुकाबला नहीं। इसको समझने के लिए इमारात की ऊँट-दौड़ देखना ज़रूरी है। यहाँ के राज परिवार और रईसज़ादे इस खेल को बड़ी रुचि से खेलते हैं।
घोड़ों के रेसकोर्स की तरह ऊँटों के भी रेसकोर्स होते हैं पर घोड़ों की तरह उनके सवार इंसान नहीं होते। इनके जॉकी होते हैं हाईटेक रोबोट। ये रोबोट एक छोटे बच्चे जैसे दिखाई देते हैं और कोड़ा चलाते हुए चिल्लाकर ऊँट को दिशा निर्देश देते हैं। रोबोट का रिमोट होता है मालिकों के हाथ में। जिन दीर्घाओं (लेन) में ऊँट दौड़ते है वे कच्ची होती हैं, पर उसके साथ ही एक चौड़ी पक्की दीर्घा भी बनाई जाती है जिस पर ऊँट मालिकों की कारें ऊँटों के साथ-साथ दौड़ती हैं। एक कार में आमतौर पर दो व्यक्ति होते हैं। एक जो कार चलाता है और दूसरा जो रिमोट संचालित करता है। क्या दृश्य होता है! एक गली में ऊँट रेस तो तो दूसरी गली में कार रेस और वह भी एक दूसरे के साथ संतुलन साधती हुई।
दौड़ में प्रथम द्वितीय और तृतीय आने वाले विजयी ऊँटों को तुरंत सम्मानित किया जाता है उनके सिर और गले पर केसर का लेप लगाकर। इस प्रकार के लाल सिर वाले ऊँट की विशेष कार को जब अरबी अपनी फ़ोर व्हील ड्राइव से जोड़ कर घर लौटता है तो लोग उसे मुड़ मुड़ कर देखते हैं। तब उसकी शान देखते ही बनती है।
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11 टिप्पणियां:
बढ़िया जानकारी दे दी पूर्णिमा जी...मजा आ गया...अब तो हमारा भी मन करने लगा है इन अरबी उंटों की दौड़ देखने का...
पहले कम ऊम्र के लडकोँ को ऊँटोँ के जोकी बनाया जाआ था ऐसा सुना था अच्छा हुआ अब रोबोट रेस करते हैँ इन्हेँ
देखकर आनँद लिया होगा -
स्नेह,
- लावण्या
पूर्णिमा जी कैसी हें ...बहुत ही बढिया बात बताई आपने....ये जो रोबोट जाकी होतें है क्या स्थानीय मार्केट में मिलतें हें या बाहर से बुलवाए जातें हें ये शौक तो बडा महंगा लगता है ...दुबई के क्या हाल हें आजकल..मुझे तो डेजर्ट सफारी की बेहद याद आती है
पूर्णिमा जी कैसी हें ...बहुत ही बढिया बात बताई आपने....ये जो रोबोट जाकी होतें है क्या स्थानीय मार्केट में मिलतें हें या बाहर से बुलवाए जातें हें ये शौक तो बडा महंगा लगता है ...दुबई के क्या हाल हें आजकल..मुझे तो डेजर्ट सफारी की बेहद याद आती है
अच्छी जानकारी .
दिलचस्प जानकारी दी आपने ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत बढिया जानकारी दी आपने ... शुक्रिया।
दिलचस्प जानकारी ।
बहुत अच्छा लगा लेख... दुबई में जितने भी दिन बिताए यादगार बन गए...
आदरणीय पूर्णिमा जी ,
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ऊंटों की दौड़ की ...शुभकामनायें.
पूनम
पूर्णिमा जी ,
बहुत अच्छी और रोचक जानकारी दी आपने यहाँ राजस्थान में भी एक ऊंटों का बैंड है जिसमें
ऊंटों को काफी कुछ सिखाया गया है.
हेमंत कुमार
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