सोमवार, 9 मार्च 2009
कहें तितलियाँ
(कुछ दोहे पर्व और मौसम की शान में)
कहें तितलियाँ फूल से चलो हमारे संग
रंग सजा कर पंख में खेलें आज वसंत
फूल बसंती हंस दिया बिखराया मकरंद
यहाँ वहाँ सब रच गए ढाई आखर छंद
भंवरे तंबूरा हुए मौसम हुआ बहार
कनक गुनगुनी दोपहर मन कच्चा कचनार
अबरक से जगमग हुए उत्सव वाले रंग
सब जग को भाने लगे होली के हुड़दंग
घाटी में घुलने लगा फागुन का त्यौहार
नाच गान पकवान में खुशियां अपरंपार
भोर जली होली सखी दिनभर रंग फुहार
टेसू की अठखेलियाँ पूर गईं घर द्वार
यमन देश की रात में छिड़ी बसंत बहार
चली भोर तक भैरवी फागुन के दिन चार
आएंगे अगले बरस फिर से लेकर रंग
जाते जाते कह गया भीगे नयन वसंत
-पूर्णिमा वर्मन
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
11 टिप्पणियां:
पर्व के मौके पर बहुत ही बढिया रचना
आएंगे अगले बरस फिर से लेकर रंग
जाते जाते कह गया भीगे नयन वसंत
bahut sndar,holi ki badhai
वाह बहुत सुन्दर। होली मुबारक।
पूर्णिमा जी ,
दोहे तो सभी बहुत अच्छे लगे .सरे दोहों में इलाहबाद की खुशबू बसी हुई है .पर ये दोहा बहुत बढ़िया है .
फूल बसंती हंस दिया बिखराया मकरंद
यहाँ वहाँ सब रच गए ढाई आखर छंद
होली की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें .
हेमंत कुमार
आएंगे अगले बरस फिर से लेकर रंग
जाते जाते कह गया भीगे नयन वसंत
बहुत ही सुंदर भाव.
आदरणीय पूर्णिमा जी ,
बहुत सुन्दर दोहे .सभी में एक नया भाव.
आपको होली की ढेरों शुभकामनायें .
पूनम
कहें तितलियाँ फूल से चलो हमारे संग
रंग सजा कर पंख में खेलें आज वसंत
घाटी में घुलने लगा फागुन का त्यौहार
नाच गान पकवान में खुशियां अपरंपार
भोर जली होली सखी दिनभर रंग फुहार
टेसू की अठखेलियाँ पूर गईं घर द्वार
आएंगे अगले बरस फिर से लेकर रंग
जाते जाते कह गया भीगे नयन वसंत
बहुत प्यारे दोहे हैं, बधाई।
सचमुच, बहुत प्यारे और दिल को छूने वाले लगे आपके ये दोहे! बधाई !
पूर्णिमा जी,
भीगे नयन वसंत कहीं मुझे रुला गया. कालिदास की याद आ गई । बहुत सुन्दर दोहे
बधाई एवं धन्यवाद
शशि पाधा
Purnimaji veri nice
घाटी में घुलने लगा फागुन का त्यौहार
नाच गान पकवान में खुशियां अपरंपार
Sabhi Dohe shabnami mahak mein nahaye hue. oornima ji bahut ache lage. Badhai
एक टिप्पणी भेजें