गुज़रते हुए 2007 के अब कुछ ही दिन शेष हैं, तो आज का यह गीत बीतते हुए साल के नाम
लो बीत चला एक और साल
अपनों की प्रीत निभाता-सा
कुछ चमक–दमक बिखराता-सा
कुछ बारूदों में उड़ता-सा
कुछ गलियारों में कुढ़ता-सा
हम पात-पात वह डाल-डाल
लो बीत चला एक और साल
कुछ नारों में खोया-खोया
कुछ दुर्घटनाओं में रोया
कुछ गुमसुम और उदास-सा
दो पल हँसने को प्यासा-सा
थोड़ी खुशियाँ ज़्यादा मलाल
लो बीत चला एक और साल
भूकंपों में घबराया-सा
कुछ बेसुध लुटा लुटाया-सा
घटता ग़रीब के दामन-सा
फटता आकाश दावानल-सा
कुछ फूल बिछा कुछ दीप बाल
लो बीत चला एक और साल
कुछ शहर-शहर चिल्लाता-सा
कुछ गाँव-गाँव में गाता-सा
कुछ कहता कुछ समझाता-सा
अपनी बेबसी बताता-सा
भीगी आँखें हिलता रूमाल
लो बीत चला एक और साल
सोमवार, 17 दिसंबर 2007
गुरुवार, 6 दिसंबर 2007
माया में मन
आज एक नया गीत कुछ दार्शनिक मनःस्थिति में
दिन भर गठरी
कौन रखाए
माया में मन कौन रमाए
दुनिया ये आनी जानी है
ज्ञानी कहते हैं फ़ानी है
चलाचली का-
खेला है तो
जग में डेरा कौन बनाए
माया में मन कौन रमाए
कुछ न जोड़े संत फ़कीरा
बेघर फिरती रानी मीरा
जिस समरिधि में-
इतनी पीड़ा
उसका बोझा कौन उठाए
माया में मन कौन रमाए
दिन भर गठरी
कौन रखाए
माया में मन कौन रमाए
दुनिया ये आनी जानी है
ज्ञानी कहते हैं फ़ानी है
चलाचली का-
खेला है तो
जग में डेरा कौन बनाए
माया में मन कौन रमाए
कुछ न जोड़े संत फ़कीरा
बेघर फिरती रानी मीरा
जिस समरिधि में-
इतनी पीड़ा
उसका बोझा कौन उठाए
माया में मन कौन रमाए
मंगलवार, 4 दिसंबर 2007
तारों की चूनर
आज का दिन अच्छा रहा। आज के ही दिन डॉ सत्यभूषण वर्मा का जन्म हुआ था 1932 में, वे हिन्दी हाइकु के पितामह माने जाते हैं। उनके सम्मान में हिंदी हाइकु की दुनिया के लोग 4 दिसंबर को हिंदी हाइकु दिवस मनाते हैं। आज गाज़ियाबाद में इसी अवसर पर एक समारोह आयोजित किया गया और मेरी सहेली डॉ.भावना कुंअर के पहले हाइकु संग्रह का विमोचन भी हुआ।
भावना भारत में नहीं थीं। वे पिछले कई सालों से यूगांडा में हैं। अभी अभी एक मित्र के हाथों उन्हें प्रकाशित किताब की 5प्रतियाँ मिली हैं। उनसे मैसेंजर बात हुई, खूब खुश थीं। बिलकुल अभी किताब के साथ खिंचवाया हुआ एक फ़ोटो भेजा उन्होंने। इस संग्रह की भूमिका लिखी है प्रसिद्ध हाइकुकार डॉ. जगदीश व्योम ने और भावना का परिचय मेरा लिखा हुआ है। वे पिछले कुछ सालों से अनुभूति के लिए नियमित लिखती रही हैं।
किताब बहुत सुंदर प्रकाशित हुई है। नाम है तारों की चूनर। हर पृष्ठ पर एक हाइकु और एक सुंदर स्केच है। मुखपृष्ठ पर का चित्र स्वयं भावना की कलाकृति है और अंदर के हाइकुओं पर आधारित चित्र जाने माने चित्रकार बी.लाल के हैं। इतनी कलात्मक पुस्तक के लिए भावना को ढेर सी बधाई और संग्रह की सफलता के लिए अनेक शुभकामनाएँ :)
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