बुधवार, 9 जून 2010

मन के मंजीरे

भारत में शायद शांति देवी के विषय में बहुत कम लोग जानते होंगे लेकिन इमारात में पिछले सप्ताह "गल्फ न्यूज" नामक समाचार पत्र की "फ्राइ डे" नामक साप्ताहिक पत्रिका में वे व्यक्तित्व के अंतर्गत छाई रहीं। शांति देवी दिल्ली की ओर जाने वाली एक प्रमुख सड़क पर स्थित अपने छोटे से गैरेज में पति के साथ ट्रक मैकेनिक का काम करती हैं। उनका कहना है कि लोग उनको ट्रक मैकेनिक का काम करता हुआ देखकर अचरज करते हैं लेकिन इस काम को करते हुए उन्हें स्वयं कोई अचरज नहीं होता। वे जितनी सहजता से रोटी पकाती हैं या सिलाई मशीन चलाती हैं उतनी ही सहजता से ट्रक मैकेनिक का काम भी कर लेती हैं।

मध्य प्रदेश की रहने वाली शांति बीस साल पहले अपने पति के साथ दिल्ली आयीं थी और यहीं की होकर रह गई। पूरे भारत में शायद वे एकमात्र महिला ट्रक मैकेनिक हैं। उन्होंने टायर बदलना और ट्रक की दूसरी मरम्मत करने का काम अपने पति से सीखा और निरंतर अपने ज्ञान को बढ़ाती रहीं। आज वे अनेक पुरुषों से बेहतर ट्रक मैकेनिक मानी जाती हैं। उनका कहना है कि अगर किसी महिला में पुरुषों द्वारा किए जाने वाले कामों को करने का जुनून हो तो अवश्य ही वह उसे पुरुषों जैसा या उनसे भी बेहतर कर सकती है।

शांति बाई को पढ़ने लिखने का अवसर तो नहीं मिला लेकिन उन्हें जो भी काम सीखने का अवसर मिला उसे उन्होंने तन्मयता से सीखा और उसके द्वारा अपने परिवार को आर्थिक सहयोग भी किया। एक सौ पचास रुपये महीने पर एक सिलाई मशीन से अपना कार्यजीवन प्रारंभ करने वाली शांति ने पाँच साल पहले दिल्ली में अपना पक्का मकान बना लिया है। अपनी सफलता का श्रेय पति को देती हुई वे कहती हैं कि हमारी सफलता का राज़ यही है कि हम दोनों साथ काम करते हैं। उन्होंने मुझे हर काम सीखने में सदा सहायता की और किसी भी काम के प्रति हतोत्साहित नहीं किया। उनका विचार है कि पढ़ना लिखना जीवन के लिए आवश्यक है लेकिन किसी एक काम में तकनीकी निपुणता प्राप्त करना भी ज़रूरी है। अगर भारत की सारी महिलाओं को शांति देवी जैसे काम करने के अवसर मिलें ते भारत की अर्थव्यवस्था बदलने में पल भर की भी देर न लगेगी।

कुछ वर्ष पहले की बात है शुभा मुद्गल का गाया हुआ मन के मंजीरे नामक एक गीत का वीडियो अक्सर टीवी पर दिखाई देता था जिसमें एक महिला ट्रक ड्राइवर की कहानी दिखाई गई थी। बड़े ही काव्यात्मक बोलों वाले इस वीडियों में अभिनय मीता वशिष्ठ ने किया था। बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया होगा कि इस गीत के रचयिता आज के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी थे। यह वीडियो "ब्रेक थ्रू" नामक एक समाजसेवी संस्था द्वारा जारी किया गया था जो लोकप्रिय कला माध्यमों द्वारा सामाजिक न्याय के लिए आवाज़ उठाती है। न जाने क्यों शांति देवी की कहानी पढ़ते हुए यह गीत ध्यान में आ गया। शायद इसलिए कि दोनो बातों में ट्रक और महिला का संयोग एक सा है। गीत की याद आ गई तो उसे यू ट्यूब पर खोलकर एक बार फिर से सुना। सुनते सुनते लगा कि अपने-अपने जीवन में संघर्षरत हर व्यक्ति के मन के मंजीरे इसी प्रकार सफलता की धुन में बजें और बजते ही रहें।

15 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

महिलायें किसी से कम नहीं हैं..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सार्थक पोस्ट....आज महिलाएं सब कर सकती हैं...जानकारी के लिए आभार

दिलीप ने कहा…

badhiya jaankaari...

girish pankaj ने कहा…

shantidevi ko salaam...

शोभना चौरे ने कहा…

sshanti devi ko badhai aur aapka dhnywad shanti devi se milvane ke liye ,

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी जानकारी। कई बार लगता है कि हमारे आसपास बहुत सारी प्रतिभाएं छिपी हुई या बिखरी हुई हैं बस इनसे साक्षात्‍कार ही नहीं हुआ। ऐसी जानकारी देने के लिए आभार।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut margdarshan karti aur utsaah bharti, garv karvati kahani.

apki post 11/6/2010 ki charcha munch ke liye chun li gayi he.

http://charchamanch.blogspot.com
abhar
anamika

संजय पाराशर ने कहा…

Dhanyavad, bahut hi sargarbhit tarike se hr bat ko prastut kiya. manohari jankari mili....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शांतिबाई जी आदर के योग्य हैं । लगन से क्या संभव नहीं है ?

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

मन के मजीरे की याद है ..हमें भी अभी हम भी आपकी तरह दुबारा सुनेंगे ..आपकी पोस्ट प्रेरक है !आपको शारजाह से यहाँ का हाल मालूम है आपके माध्यम से जानकार बहुत ख़ुशी हुई !
!!

राजेश उत्‍साही ने कहा…

सच कहा आपने यहां भारत में हम शांतिदेवी से परि‍चित नहीं हैं। मैं बंगलौर में हूं। मैंने भी यहां महिलाओं को जूते सुधारते यानी मोची का काम करते देखा है। उत्‍तर भारत में हम महिलाओं को यह काम करते हुए नहीं देखते।

شہروز ने कहा…

शब्द जब किसी माकूल सर्जक के हवाले हो जाए और उस सर्जक के पास समय के नब्ज़ पकड़ने की सामर्थ्य भी हो तो निसंदेह ऐसा लेखन सार्थक ही होगा.
और आपकी पोस्टों को पढ़कर ऐसा कहा जा सकता है.

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान ने कहा…

bahut bahut badhai,bharat me mahilaye pursho se kahi adhik kary kar rahi hai .

कविता रावत ने कहा…

Shanti Devi ji se parichay aur jaankari ke liye aabhar
Pahle baar aapke blog par aaye hun bahut achha laga..
haardik shubhkamnayne

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Achi jankari di aapne..par sach hai ki mahilayen sabkuch kar sakti han yaha videsh men to sabhi har khetra men hai..padhkar bahut acha laga..