मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

हरा समंदर गोपी चंदर


इमारात में दो तरह के समंदर हैं। एक पानी का और दूसरा रेत का। रेत समंदर जैसी क्यों और कैसे दिखाई देती है यह वही जान सकता है जिसने रेगिस्तान देखा हो। रेत में भी समंदर की तरह लहरें होती हैं, तूफ़ान होते हैं और जहाज़ होते हैं। रेगिस्तान के जहाज़ यानी ऊँट। दूर से देखने पर रेत में गुज़रता हुआ ऊँट, पानी में गुज़रते जहाज़ की तरह मद्धम डोलता है और धीरे-धीरे आँखों से ओझल हो जाता है, क्यों कि समंदर चाहे पानी का हो या रेत का दोनों ही होते हैं अंतहीन।


समंदर में तूफ़ान आता है तो लहरे तट पर सर पटकती हैं पर रेत में तूफ़ान आता है तो यह पूरे शहर में बवाल करती फिरती है। कार के शीशे पर गुलाल की तरह बरसती है, चौड़ी सड़कों पर बवंडर की तरह दौड़ती है और घरों के बरामदों में ढेर की तरह आ जुटती है।


यहाँ पानी का समंदर होता है हरा और रेत का समंदर लाल। दूर क्षितिज पर जब यह हरा समंदर नीले आसमान के साथ क्षितिज रेखा बनाता है तो मुझे क्षितिज के पार भारत का समंदर याद आता है, जो हरा नहीं नीला होता है और बहुत दूर तक आसमान के साथ बहते हुए उसमें विलीन हो जाता है। ठीक वैसे ही जैसे हम भारतवासी दूर दूर तक हर देश में उस देश के हवा पानी के साथ घुल-मिल जाते हैं।

5 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

सहरा और समु्द्र का तूफानी संसार।
तुलना क्या बेजोड़ है चित्र किया गुलजार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Vinay ने कहा…

सचमुच अद्भुत

mehek ने कहा…

l.comsunder post

Arvind Mishra ने कहा…

हरा समन्दर गोपी चंदर -वाह क्या ही बढियां शीर्षक है !

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

पूर्णिमा जी ,
बहुत बढ़िया फोटो के साथ बढ़िया लेख ...खासकर समुन्दर की गहरे और उसके दूर क्षितिज में मिलने की जो तुलना अपने भारतवासियों से की है ..पढ़कर अच्छा लगा.
हेमंत कुमार