tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post8424482841797026550..comments2023-10-15T13:32:04.954+04:00Comments on चोंच में आकाश: शब्दपूर्णिमा वर्मनhttp://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-63810786751497013862011-07-03T09:27:18.173+04:002011-07-03T09:27:18.173+04:00बहुत सुन्दरबहुत सुन्दरblogkoshhttps://www.blogger.com/profile/11505642305452772175noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-28888070171051264552007-11-18T22:45:00.000+04:002007-11-18T22:45:00.000+04:00कविता बहुत अच्छी लगी । मुझे भी शब्द सदा मोहित करते...कविता बहुत अच्छी लगी । मुझे भी शब्द सदा मोहित करते हैं ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-18805523699060462652007-11-18T19:57:00.000+04:002007-11-18T19:57:00.000+04:00सही लिखा है आपने शब्दों के लिये, आपकी कविता पढ़कर ...सही लिखा है आपने शब्दों के लिये, आपकी कविता पढ़कर इसी शीर्षक की उस हिन्दी फिल्म की याद आ गयी जिसमें नायक शब्दों से खेलता है। आपने क्या वो फिल्म देखी है। सब शब्दों का ही माया जाल है।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-89271603024825334812007-11-18T12:59:00.000+04:002007-11-18T12:59:00.000+04:00धन्यवाद रवि, आपके निर्देश का पालन करने की कोशिश की...धन्यवाद रवि, आपके निर्देश का पालन करने की कोशिश की है बताएँ सबकुछ ठीक हुआ या नहीं।पूर्णिमा वर्मनhttps://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-89650657579199271922007-11-18T11:56:00.000+04:002007-11-18T11:56:00.000+04:00मुश्किल में वही काम आए हैंमेरे विश्वास पर खरे उतरत...<B>मुश्किल में वही काम आए हैं<BR/>मेरे विश्वास पर खरे उतरते हुए<BR/>जब कोई साथ न दे<BR/>वही बने हैं मेरा संबल<BR/>मेरा धर्म,<BR/>मेरा ईश्वर<BR/>मेरा दर्शन </B><BR/>पूर्णतया सहमत हूँ , आपसे !!Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-31030730021318361802007-11-18T09:34:00.000+04:002007-11-18T09:34:00.000+04:00चिट्ठे के आर्काइव की सेटिंग (सेटिंग्स>आर्काइविंग) ...चिट्ठे के आर्काइव की सेटिंग (सेटिंग्स>आर्काइविंग) को साप्ताहिक या मासिक कर दें, तथा उसे Hierarchy (टैम्पलेट>पेजएलिमेंट>आर्काइव) कर दें तो पुरानी रचनाओं को चिट्ठे पर ही ढूंढ कर पढ़ने में पाठकों आसानी रहती है.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com