tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post6794264914267680311..comments2023-10-15T13:32:04.954+04:00Comments on चोंच में आकाश: दौड़ से दूरपूर्णिमा वर्मनhttp://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-25667216954412260472011-04-07T15:34:24.655+04:002011-04-07T15:34:24.655+04:00अविनाश सिंह चौहान, सी.एम. प्रसाद जी, एलकेपीजी, प्र...अविनाश सिंह चौहान, सी.एम. प्रसाद जी, एलकेपीजी, प्रवीण पांडेय दिगंबर नस्वा और आदरणीय कुमार रवीन्द्र जी, यहाँ पधारने और टिप्पणी करने के लिये हार्दिक आभार। आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिये प्रेरणादायक हैं। आशा है यह आशीर्वाद मिलता रहेगा।पूर्णिमा वर्मनhttps://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-6190718412243356192011-04-07T09:57:42.401+04:002011-04-07T09:57:42.401+04:00'चोंच में आकाश' में 'दौड़ से दूर' ...'चोंच में आकाश' में 'दौड़ से दूर' में पस्तुत लघु आलेख हमारी आज की आपाधापीभरी जिजीविषा पर एक सटीक टिप्पणी है | साधुवाद इस प्रस्तुति हेतु | कुछ अलग ढंग से मैंने यही बात अपने रक नवगीत में कही है | <br /><br /><br />प्रश्न अज़ब था <br /><br /><br />'बहुत ज़गह जाने से <br />क्या ज्ञानी हो जाते हैं ?'<br /><br />प्रश्न अज़ब था बाबूजी का <br />हम चकराये थे <br />दुनिया-भर Kumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-75361756512278233672011-04-06T15:03:19.033+04:002011-04-06T15:03:19.033+04:00ये सच है घर का आराम कहीं नही ... पर जिसको घुमंतू ह...ये सच है घर का आराम कहीं नही ... पर जिसको घुमंतू होने की आदत लग जाती है उसका क्या .... बीच समुंदर में जहाज़ का पंछी जहाज़ पर आ तो जाता है .... पर कुछ देर में फिर उड़ान को तैयार हो जाता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-89227502603395147702011-04-05T06:20:47.140+04:002011-04-05T06:20:47.140+04:00हम तो घर से बाहर ही रहे, सीप ही नहीं मिली अब तक।हम तो घर से बाहर ही रहे, सीप ही नहीं मिली अब तक।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-3837053668387312402011-04-04T21:21:32.890+04:002011-04-04T21:21:32.890+04:00Great thoughts!Great thoughts!elkaypeehttps://www.blogger.com/profile/18384295812381521676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-61378567849245234422011-04-04T20:33:00.449+04:002011-04-04T20:33:00.449+04:00हम है यहीं, हम है यहां
इसके सिवा जाना कहां :)हम है यहीं, हम है यहां <br />इसके सिवा जाना कहां :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-35832447174307763912011-04-04T18:40:27.956+04:002011-04-04T18:40:27.956+04:00"इसलिए- कुछ पल शांति से बैठें, प्रकृति का आनं..."इसलिए- कुछ पल शांति से बैठें, प्रकृति का आनंद लें,"<br /><br />आज के समय में बढ़ाते तनाव और मानसिक दुःख का यही कारण है: लोग अंधी दौड़ में शामिल है. <br />प्रस्तुतकर्ता एवं रचनाकार दोनों को बधाई एवं नवसंवत्सर की शुभकामनाएंअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.com