tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post6263139652828112962..comments2023-10-15T13:32:04.954+04:00Comments on चोंच में आकाश: एक मरुस्थल यात्रापूर्णिमा वर्मनhttp://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-9385611020497015462009-11-28T17:43:51.964+04:002009-11-28T17:43:51.964+04:00साफ़ शब्दों में बढ़िया संस्मरण. मरुस्थल तो मैं भी ...साफ़ शब्दों में बढ़िया संस्मरण. मरुस्थल तो मैं भी घूम चूका हूँ पर इतनी बारीकी से अध्यन नहीं किया. समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आकर मेरा मार्गदर्शन करें.Crazy Codeshttps://www.blogger.com/profile/13403617601253452747noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-12460877058465983742009-11-24T21:32:45.844+04:002009-11-24T21:32:45.844+04:00पूर्बणिमा जी,
बहुत अच्छी जानकारी को आपने सुन्दर और...पूर्बणिमा जी,<br />बहुत अच्छी जानकारी को आपने सुन्दर और रोचक ढग से कलमबद्ध किया है।<br />शुभकामनायें।<br />पूनमपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-32595393227492359862009-11-24T05:13:25.446+04:002009-11-24T05:13:25.446+04:00कुछ लोग घर आई रेत को एक प्याले में इकट्ठा कर के या...कुछ लोग घर आई रेत को एक प्याले में इकट्ठा कर के यात्रा के स्मृतिचिह्न की तरह सहेजते हैं।-हम भी ब्लॉग पर उस रेत को सहेजते हैं...प्याले में इकट्ठा करने पर बीबी नाराज होती है. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-87049762359714198722009-11-24T02:40:12.217+04:002009-11-24T02:40:12.217+04:00नीले समुन्दर के साथ पीले समुन्दर की तरह फैली रेत द...नीले समुन्दर के साथ पीले समुन्दर की तरह फैली रेत दुबई की खासियत है ........ अपने बहुत ही लाजवाब संस्मरण की तरह इस द्रश्य को खींचा है .........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-79129231347503907602009-11-23T21:50:01.873+04:002009-11-23T21:50:01.873+04:00अच्छी जानकारी देता रेगिस्तानी यात्रा का संस्मरण॥अच्छी जानकारी देता रेगिस्तानी यात्रा का संस्मरण॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-67363137545583576672009-11-23T21:27:40.096+04:002009-11-23T21:27:40.096+04:00shandaar prastutishandaar prastutiसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-3629247873987217912009-11-23T21:08:56.415+04:002009-11-23T21:08:56.415+04:00मरुस्थल में राह दिखाने वाले ऊँट ही होते है ज़्यादा...मरुस्थल में राह दिखाने वाले ऊँट ही होते है ज़्यादातर..वैसे यात्रा आसान नही होता बिना किसी पथ प्रदर्शक के....बढ़िया विवरण..धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-18947392560299297282009-11-23T19:44:48.775+04:002009-11-23T19:44:48.775+04:00बहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण .....बढ़िया प्रस्तुति....बहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण .....बढ़िया प्रस्तुति. आपकी पोस्ट के माध्यम से बहुत कुछ जानने का मौका मिला आभार .महेन्द्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/00466530125214639404noreply@blogger.com