tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post2272194428913752122..comments2023-10-15T13:32:04.954+04:00Comments on चोंच में आकाश: सुडोकु के साये में पेन्सिल और शार्पनरपूर्णिमा वर्मनhttp://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-86621739526007078322009-03-27T20:45:00.000+04:002009-03-27T20:45:00.000+04:00sudoku ke maadhyam se bachpane ki smritiyan ach...sudoku ke maadhyam se bachpane ki smritiyan achchhi lagi<BR/>- vijayविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-12740596277121287332009-03-22T17:46:00.000+04:002009-03-22T17:46:00.000+04:00सुडोकू मुझे बी बहुत पसंद है पर आजकल हिंदुस्तान टाइ...सुडोकू मुझे बी बहुत पसंद है पर आजकल हिंदुस्तान टाइम्स में तो 5 स्क्वेअर एकसाथ वाला सुडोकू आ रहा है जो कभी भी दिन भर में पूरा नही हुआ ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-21299744796305718762009-03-18T11:12:00.000+04:002009-03-18T11:12:00.000+04:00सुडोकू सुलझाना हमारा भी पसंदीदा काम है बस हम सुडोक...सुडोकू सुलझाना हमारा भी पसंदीदा काम है <BR/>बस हम सुडोकू के लिए पेन्सिल नहीं इस्तेमाल करते . पेन्सिल से करने में ये लगा रहता है कि गलत होने का डर है तभी पेन्सिल से कर रहे हैं .roushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-50462249318440661952009-03-17T19:32:00.000+04:002009-03-17T19:32:00.000+04:00सुडोकु, हमारा परमप्रिय सुबह शुरु करने का तरीका, के...सुडोकु, हमारा परमप्रिय सुबह शुरु करने का तरीका, के बहाने बहुत बढ़िया बचपन की याद दिलवाई आपने.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-74060161159647829132009-03-17T18:52:00.000+04:002009-03-17T18:52:00.000+04:00बचपन की यादें बहुत खुशी देती हैं ... हमलोगों ने जो...बचपन की यादें बहुत खुशी देती हैं ... हमलोगों ने जो जीवन जीया है ... वह आज के बच्चों को कहां नसीब हो पाता है ... भले ही उनके लिए सुख सुविधा के अधिक साधन इकट्ठे हों ।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-19173435758755370172009-03-17T17:22:00.000+04:002009-03-17T17:22:00.000+04:00ओर जो सुन्दर सी रबर पीछे टंगी रहती है......उसे भूल...ओर जो सुन्दर सी रबर पीछे टंगी रहती है......उसे भूल गयी ..डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3627654484063710786.post-47107753312835892002009-03-17T15:25:00.000+04:002009-03-17T15:25:00.000+04:00ये बात तो है. आजकल के बच्चों को नई खुशियाँ मिल गई ...ये बात तो है. आजकल के बच्चों को नई खुशियाँ मिल गई हैं - जैसे कि मेकेनिकल पेंसिल. छीलने नुकीला बनाने का झंझट ही नहीं!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com